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बौद्ध धर्म बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित एक भारतीय दार्शनिक परंपरा है। [1] इसे बुद्ध धर्म भी कहा जाता है। [2] गौतम बुद्ध को ६वीं सदी ईशा ...
गौतम बुद्ध (जन्म ५६३ ईसा पूर्व – निर्वाण ४८३ ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ। [2]
थेरवाद. बौद्ध धर्म का दूसरा सबसे बड़ा संप्रदाय थेरवाद है, और यह संप्रदाय ज्यादातर दक्षिण पूर्व एशिया रहता है। थेरवाद बौद्ध धर्म कंबोडिया, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड, क्रिसमस द्वीप और सिंगापुर, श्रीलंका में बहुसंख्यक तथा मलेशिया, ब्रुनेई, तिमोर, इंडोनेशिया, फिलीपींस में भी बडी संख्या में है।.
- संदर्भ
- महात्मा बुद्ध: जीवन वृत्तांत
- बुद्ध दर्शन के सकारात्मक पहलू
- बुद्ध दर्शन के नकारात्मक पहलू
- महात्मा बुद्ध के विचारों की प्रासंगिकता
- निष्कर्ष
विश्व में कुछ ऐसे महापुरुष रहे हैं जिन्होंने अपने जीवन से समस्त मानव जाति को एक नई राह दिखाई है। उन्हीं में से एक महान विभूति गौतम बुद्ध थे, जिन्हें महात्मा बुद्ध के नाम से जाना जाता है। दुनिया को अपने विचारों से नया मार्ग (मध्यम मार्ग) दिखाने वाले महात्मा बुद्ध भारत के एक महान दार्शनिक, समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। भारतीय वैदिक परंपरा...
महात्मा बुद्ध का जन्म नेपाल की तराइयों में स्थित लुम्बिनी में 563 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था।यह सर्वविदित है कि युवावस्था में उन्होंने मानव जीवन के दुखों को देखा जैसे रोगी व्यक्ति, वृद्धावस्था एवं मृत्यु। इसके विपरीत एक प्रसन्नचित्त संन्यासी से प्रभावित होकर बुद्ध 29 वर्ष की अवस्था में सां...महात्मा बुद्ध ने 528 ईसा पूर्व में वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधगया में एक पीपल वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए आत्म बोध प्राप्त किया।वैशाख पूर्णिमा के दिन ही 483 ईसा पूर्व में कुशीनारा नामक स्थान पर महात्मा बुद्ध को निर्वाण प्राप्त हुआ।बुद्ध के दर्शन का सबसे महत्त्वपूर्ण विचार‘आत्म दीपो भवः’ अर्थात‘अपने दीपक स्वयं बनो’। इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य या नैतिक-अनैतिक प्रश्न का निर्णय स्वयं करना चाहिये। यह विच...बुद्ध के दर्शन का दूसरा प्रमुख विचार ‘मध्यम मार्ग’ के नाम से जाना जाता है। सूक्ष्म दार्शनिक स्तर पर तो इसका अर्थ कुछ भिन्न है, किंतु लौकिकता के स्तर पर इसका अभिप्राय सिर्फ इतना है कि किसी भी प्रकार...बुद्ध दर्शन का तीसरा प्रमुख विचार ‘संवेदनशीलता’ है। यहाँ संवेदनशीलता का अर्थ है दूसरों के दुखों को अनुभव करने की क्षमता। वर्तमान में मनोविज्ञान जिसे समानुभूति (Empathy) कहता है, वह प्रायः वही है जि...बुद्ध दर्शन का चौथा प्रमुख विचार यह है कि वे परलोकवाद की बजाय इहलोकवाद पर अधिक बल देते हैं। गौरतलब है कि बुद्ध के समय प्रचलित दर्शनों में चार्वाक के अलावा लगभग सभी दर्शन परलोक पर अधिक ध्यान दे रहे...बुद्ध का सबसे कमज़ोर विचार उनका यह विश्वास है कि संपूर्ण जीवन दुखमय है। उन्होंने जो चार आर्य सत्य बताए हैं, उनमें से पहला ‘सर्वम दुखम’ है अर्थात सबकुछ दुखमय है। इस बिंदु पर बुद्ध एकतरफा झुके हुए नज़र...बुद्ध के विचारों में एक अन्य महत्त्वपूर्ण खामी नारियों के अधिकारों के संदर्भ में दिखती है। जैसे महिलाओं को शुरूआत में संघ में प्रवेश नहीं देना। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने अपने शिष्य आनंद से कहा थ...महात्मा बुद्ध भारतीय विरासत के एक महान विभूति हैं। उन्होंने संपूर्ण मानव सभ्यता को एक नयी राह दिखाई। उनके विचार, उनकी मृत्यु के लगभग 2500 वर्षों के पश्चात् आज भी हमारे समाज के लिये प्रासंगिक बने हु...वर्तमान समय में बुद्ध के स्व निर्णय के विचार का महत्त्व बढ़ जाता है दरअसल आज व्यक्ति अपने घर, ऑफिस, कॉलेज आदि जगहों पर अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण फैसले भी स्वयं न लेकर दूसरे की सलाह पर लेता है अतः व...बुद्ध का मध्यम मार्ग सिद्धांत आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना बुद्ध के समय था। उनके इन विचारों की पुष्टि इस कथन से होती है कि वीणा के तार को उतना नहीं खींचना चाहिये कि वह टूट ही जाए या फिर उतना भी...दरअसल आज दुनिया में तमाम तरह के झगड़े हैं जैसे- सांप्रदायिकता, आतंकवाद, नक्सलवाद, नस्लवाद तथा जातिवाद इत्यादि। इन सारे झगड़ों के मूल में बुनियादी दार्शनिक समस्या यही है कि कोई भी व्यक्ति देश या संस...प्रत्येक विचारक की तरह बुद्ध कुछ बिंदुओं पर आकर्षित करते है तो कुछ बिंदुओं पर नहीं कर पाते हैं। विवेकशीलता का लक्षण यही है कि हम अपने काम की बातें चुन लें और जो अनुपयोगी हैं, उन्हें त्याग दें। बुद्ध से जो सीखा जाना चाहिये, वह यह है कि जीवन का सार संतुलन में है, उसे किसी भी अतिवाद के रास्ते पर ले जाना गलत है। हर व्यक्ति के भीतर सृजनात्मक संभावनाएँ ह...
Apr 20, 2019 · गौतम बुद्ध, भारत के महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, एक महान समाज सुधारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। गौतम बुद्ध ने हिन्दू धर्म में सिद्धार्थ के रूप में जन्म लिया था, बाद में उन्होंने ग्रहस्थ जीवन में भी प्रवेश किया लेकिन अपनी शादी के कुछ समय बाद उन्होनें अपनी पत्नी और बच्चे का त्याग दिया और परिवारिक मोह-माया से अलग होकर वे बौद्ध धर्म के प्र...
Sep 7, 2022 · भगवान बुद्ध का असली नाम सिद्धार्थ गौतम था. “ईसा पूर्व 623 – ईसा पूर्व 543” को बुद्ध का जीवनकाल माना जाता है. बुद्ध ने अपने अनुयायियों को सांसारिक सुखों में भोग के दो चरम, सख्त संयम और तपस्या के अभ्यास से बचने के लिए कहा. उन्होंने इसके बजाय ‘मध्यम मार्ग’ या बीच का रास्ता बताया, जिसका पालन किया जाना था.
सिद्धार्थ गौतम ने 35 वर्ष की उम्र में बुद्धत्व प्राप्त किया. जिससे इस दर्शनशास्त्र का जन्म हुआ. बौद्ध धर्म आज 2560 वर्ष से पुराना हैं. जिसके करीब करीब 380 दशलक्ष (मिलियन) अनुयायी दुनिया में हैं. सौ साल पहले बौद्ध धर्म को माननेवालों में एशियाई लोग प्रमुख थे, पर समय के साथ युरोप, ऑस्ट्रेलिया व अमरीका में भी इसके माननेवाले बध रहे हैं.