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इमाम अहमद रज़ा. अहमद रज़ा ख़ान ( उर्दू एवम् फ़ारसी: احمد رضا خان, अ'रबी: أحمد رضا خان), जिसे बहुधा भारत में अहमद रज़ा ख़ान बरेलवी या आला हज़रत के ...
- परिवार
- जीवन परिचय
- रचनाएँ
- महाक्रान्ति
- राष्ट्रभक्ति
- अपनी क़ौम की हिफ़ाज़त
- सर सैयद की दूरदृष्टि
- संस्थाओं की स्थापना
- राजनीति
- सामूहिक सुधार के लिए
सैयद अहमद ख़ाँ का जन्म 27 अक्टूबर, 1817 में दिल्ली के सादात (सैयद) ख़ानदान में हुआ था। सैयद अहमद ख़ाँ ने सर्वोच्च ओहदे पर होने के बावज़ूद अपनी सारी ज़िन्दगी तंगदस्ती के साथ गुज़ारी। सर सैयद का परिवार प्रगतिशील होने के बावज़ूद पतनशील मुग़ल सल्तनत द्वारा बहुत सम्मानित था। उनके पिता, जिन्हें मुग़ल प्रशासन से भत्ता मिलता था, उन्होंने धर्म से लगभग सन्न्...
22 वर्ष की अवस्था में पिता की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और थोड़ी सी शिक्षा के बाद ही सैयद को आजीविका कमाने में लगना पड़ा। सर सैयद अहमद ख़ाँ ने 1830 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी में क्लर्क के रूप में काम शुरू किया, किंतु वह हाथ-पर-हाथ धर कर बैठने वालों में से नहीं थे। उन्होंने मेहनत की और तीन वर्ष बाद 1841 ई. में मैनपुर...
सर सैयद ने धार्मिक एवं सांस्कृतिक विषयों पर काफ़ी लिखा। 19वीं शताब्दी के अंत में भारतीय इस्लाम के पुनर्जागरण की प्रमुख प्रेरक शक्ति हुई। उन्होंने उर्दू कृतियों में मुहम्मद के जीवन पर लेख (1870) और बाइबिल तथा क़ुरानपर टीकाएँ सम्मिलित हैं। 1. 23 वर्ष की आयु में धार्मिक पुस्तिकाएँ लिखकर, सर सैयद ने अपने उर्दू लेखन की शुरुआत की। उन्होंने 1847 में एक उल...
जब सर सैयद 40 वर्ष के हुए तो उस वक़्त हिन्दुस्तान एक नया मोड़ ले रहा था। 1857 की महाक्रान्ति और उसकी असफलता के दुष्परिणाम उन्होंने अपनी आँखों से देखे। उनका घर तबाह हो गया, निकट सम्बन्धियों का क़त्ल हुआ, उनकी माँ जान बचाकर एक सप्ताह तक घोड़े के अस्तबल में छुपी रहीं। सर सैयद की दूरदृष्टि इसकी गवाही दे रही थी कि सन् 1857 की जंग मुसलमानों की आर्थिक तंग...
1857 के अत्याचार हिन्दुस्तान पर अंग्रेज़ों ने जारी रखा। संवेदनशील व्यक्तियों और ऐसे लोग विशेषत: सर सैयद मुसलमानों की इस बर्बादी को देखकर तड़प उठे और उनके दिलो-दिमाग़ में राष्ट्रभक्ति की लहर करवटें लेने लगीं। इस बेचैनी से सर सैयद ने परेशान होकर हिन्दुस्तान छोड़ने और मिस्रमें बसने का फ़ैसला ले लिया। अंग्रेज़ों ने सर सैयद जैसे इन्सान को अपनी ओर करने क...
सर सैयद ने यह महसूस किया कि अगर हिन्दुस्तान के मुसलमानों को इस कोठरी से नहीं निकाला गया तो एक दिन हमारी क़ौम तबाह और बर्बाद हो जाएगी और वह कभी भी उठ न सकेगी। इसलिए उन्होंने मिस्र जाने का इरादा बदल दिया और कल्याण व अस्तित्व के चिराग़ को लेकर अपनी क़ौम और मुल्क़ की तरफ़ बढ़ने लगे और अपने एक चिराग़ से सैंकड़ों चिराग़ रोशन किए। उन्होंने 28 दिसम्बर 1889...
सर सैयद की दूरदृष्टि अंग्रेज़ों के षड़यंत्र से अच्छी तरह से वाक़िफ़ थी। उन्हें मालूम था कि अंग्रेज़ी हुकूमत हिन्दुस्तान पर स्थापित हो चुकी है और सर सैयद ने उन्हें हराने के लिए शैक्षिक मैदान को बेहतर समझा। इसलिए अपने बेहतरीन लेखों के माध्यम से क़ौम में शिक्षा व संस्कृति की भावना जगाने की कोशिश की ताकि शैक्षिक मैदान में कोई हमारी क़ौम पर हावी न हो सक...
सैयद के जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य शिक्षा का प्रचार-प्रसार उसके व्यापकतम अर्थों में करना था। मुस्लिम समाज के सुधार के लिए प्रयासरत सर सैयद ने (1858) में मुरादाबाद में आधुनिक मदरसे की स्थापना की। यह उन शुरुआती धार्मिक स्कूलों में था जहाँ वैज्ञानिक शिक्षा दी जाती थी। उन्होंने 1863 में गाजीपुर में भी एक आधुनिक स्कूल की स्थापना की। उनका एक अन्य महत्तवाक...
सैयद मुसलमानों को सक्रिय राजनीति के बजाय शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते थे। बाद में जब कुछ मुसलमान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसमें सम्मिलित हुए, तो सैयद ने इस संगठन और इसके उद्देश्य का जमकर विरोध किया, जिनमें भारत में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना भी एक उद्देश्य था। उन्होंने दलील दी कि सांप्रदायिक तौर पर विभाजित और कुछ वर्गों के लिए सीमित शिक...
[[चित्र:Tomb-Of-Sir-Syed-Ahmed-Khan.jpg|thumb|250px|सर सैयद अहमद ख़ाँ की क़ब्र, अलीगढ़ Tomb Of Sir Syed Ahmed Khan, Aligarh]]मुसलमानों के सामूहिक सुधार के लिए वे इंग्लैण्ड गये और वहाँ विश्वविद्यालयों में जाकर शिक्षा व संस्कृति का गहन अध्ययन किया। अंग्रेज़ी मैगज़ीन जो सुधार के लिए 'टैटलर इस्पैक्टर' और 'गार्जियन' निकाले जाते थे, उनकी फ़ाइलों को देखकर...
शिक्षा. सर सैयद अहमद खाँ को बचपन से ही पढ़ने लिखने के शैकीन थे. इनकी प्राथमिक शिक्षा इस्लामिक स्कूल से हुई और इन्होंने उच्च शिक्षा ...
Mar 27, 2018 · सर सैयद अहमद खान एक प्रसिद्ध मुस्लिम धर्म सुधारक, शिक्षक और राजनीतिज्ञ थे। उनका जन्म एक मजबूत मुगल सम्बंधित परिवार में हुआ, सर सैयद अहमद खान पारंपरिक शिक्षा प्राप्त की लेकिन भारतीय मुस्लिम समुदाय...
Mar 6, 2016 · Sir Syed Ahmed Khan Biography In Hindi. सर सैयद अहमद खान का जन्म दिल्ली के एक समृद्ध व प्रतिष्ठित परिवार में 17 अक्टूबर सन 1817 को हुआ था. इनके पिता का नाम मीर मुत्तकी तथा माता का नाम मीर अजिजुत्रिसा बेगम था. इनकी शिक्षा अरबी, फ़ारसी, हिंदी, अंग्रेजी के अनेक प्रतिष्ठ विद्वानों द्वारा हुई. इन्होने ज्योतिष, तैराकी तथा निशानेबाजी का भी अभ्यास किया.
Mar 27, 2021 · पारंपरिक शिक्षा के बजाय आधुनिक शिक्षा के हिमायती. इसमें कोई शक नहीं कि सर सैयद अहमद खां न केवल महान दार्शनिक थे, बल्कि एक महान समाज-सुधारक भी थे. उनकी गिनती उन महान लोगों में की जाती है, जो आजवीन...
MCQs. Syed Ahmed Khan - Background. Syed Ahmed Khan was born in Delhi, the Mughal Empire's capital, to an affluent and aristocratic family with close ties to the Mughal court. He was educated in both the Quran and science. Later in life, he was awarded an honorary law degree by the University of Edinburgh.