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  1. Feb 19, 2019 · मृत्युदंड को कुछ और नामों से भी जानते हैं जैसे Capital Punishment या Death Penalty, किसी व्यक्ति को कानूनी तौर पर न्यायिक प्रक्रिया के तहत किसी अपराध के ...

    • संदर्भ
    • मृत्युदंड क्या है?
    • भारत में मृत्युदंड के पक्ष में तर्क
    • भारत में मृत्युदंड के विरुद्ध तर्क
    • भारत में मृत्युदंड से संबंधित प्रमुख मामले
    • मृत्युदंड पर सर्वोच्च न्यायालय का हालिया रुख
    • निष्कर्ष

    मृत्युदंड (Capital punishment) एक कानूनी दंड है जो न्यायालय द्वारा उस व्यक्ति को दिया जाता है जिसने कानून द्वारा निषिद्ध ऐसा कोई अपराध किया हो जिसके लिये इस कठोरतम दंड का प्रावधान है। भारत में यह केवल भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) और दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure)के अनुसार दुर्लभतम (Rarest of the rare) मामलों में दिय...

    मृत्युदंड सज़ा का कठोरतम रूप है। यह वह दंड है जो मानवता के विरुद्ध नृशंसतम और जघन्यतम अपराधों के लिये दिया जाता है।
    भारतीय दंड संहिता के तहत वे कुछ अपराध, जिनके लिये अपराधियों को मौत की सज़ा दी जा सकती है:
    विद्रोह का दुष्प्रेरण यदि उसके परिणामस्वरूप विद्रोह किया जाए (धारा 132); और अन्य।
    मृत्युदंड के लिये ‘डेथ पेनाल्टी’ और ‘कैपिटल पनिशमेंट’ शब्द का इस्तेमाल एक-दूसरे के स्थान पर होता रहा है, हालाँकि हमेशा ही अनिवार्य रूप से इस दंड का क्रियान्वयन नहीं भी होता है। इसे भारतीय संविधान क...
    प्रतिशोध (Retribution): प्रतिशोध इस विचार को संदर्भित करता है कि यह कठोर दंड इसलिये आवश्यक है क्योंकि अपराधी इसका ही भागी है और पीड़ितों, उनके परिवारों और/या समाज के लिये न्याय सुनिश्चित करने हेतु...
    प्रतिरोध या निवारण (Deterrence): मृत्युदंड के पक्ष में निवारण का तर्क सर्वाधिक आम रूप से व्यक्त किया जाता है। इस सिद्धांत का सार यह है कि ‘‘जब फाँसी दी जाती है, तो हिंसक अपराध कम हो जाते हैं।’’
    नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण: भारत जैसा लोकतांत्रिक राष्ट्र ऐसे राज्य पर आश्रित है जो कानूनी व्यवस्था में जनता के विश्वास की सुरक्षा, संरक्षण और प्रवर्तन के साधन के रूप में कार्यरत हो।
    दंड के उद्देश्य से भटकना: मृत्युदंड कैदियों का पुनर्वास (Rehabilition) नहीं करता है, जो दंड का मूल उद्देश्य होता है।
    प्रतिशोध से जुड़ी अनैतिकता: जो लोग मृत्युदंड का विरोध करते हैं, उनका विचार है कि प्रतिशोध का दृष्टिकोण अनैतिक है और यह प्रतिहिंसा (vengeance) का ही एक शुद्ध रूप है।
    सांस्कृतिक हिंसा की पारस्परिकता:मृत्युदंड का विरोध करने वाले लोगों का तर्क है कि यह समाज में मौजूदा सांस्कृतिक हिंसा का प्रतिकार करता है, समाधान नहीं देता है।
    सामाजिक विफलता की अनदेखी: मृत्युदंड केवल बलात्कारी की 'व्यक्तिगत विफलता' पर विचार करता है, पृष्ठभूमि की 'सामाजिक विफलताओं' पर अपनी आँखें बंद रखता है।
    जगमोहन सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 1973:सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि अनुच्छेद 21 के अनुसार जीवन से वंचित करना संवैधानिक रूप से अनुमेय है यदि यह विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है।
    बच्चन सिंह बनाम पंजाब राज्य 1979:इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मृत्युदंड केवल दुर्लभतम या ‘रेयरेस्ट ऑफ़ रेयर’ मामलों में ही दिया जाना चाहिये।
    मच्छी सिंह बनाम पंजाब राज्य 1983: सर्वोच्च न्यायालय ने उन कुछ कारकों को रेखांकित किया जो यह निर्धारित करते हैं कि किसी मामले को दुर्लभतम माना जाए या नहीं।
    न्यायालयों द्वारा जिस तरह से मृत्युदंड दिया जा रहा है, उस पर व्यक्त चिंताओं का स्वत: संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने प्रक्रिया की समीक्षा शुरू की है। सर्वोच्च न्यायालय मृत्युदंड के मामलों में...
    सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपित के पास अर्थपूर्ण, वास्तविक और प्रभावी सुनवाई का अवसर होना चाहिये, साथ ही दंड के प्रश्न से संबंधित साक्ष्य पेश करने का मौक़ा भी होना चाहिये।
    सर्वोच्च न्यायालय ने यह सुझाव भी दिया है कि मौत की सज़ा से संबंधित मामले में निर्णय सुनाते समय दोषी की सामाजिक पृष्ठभूमि, आयु, शैक्षिक स्तर को ध्यान में रखा जाना चाहिये।
    इसके अतिरिक्त, मृत्युदंड दिया जाए या नहीं, यह तय करने से पहले, दोषी के मनोवैज्ञानिक अनुभवों और दोषसिद्धि के बाद के व्यवहार के संबंध में विचार किया जाना चाहिये।

    हमारा ध्यान केवल अपराधियों के उन्मूलन पर नहीं हो, अपराध के उन्मूलन पर भी हो। आपराधिक कानून में दंड का उद्देश्य, यदि व्यापक दृष्टिकोण एवं परिप्रेक्ष्य से देखा जाए, तो एक व्यवस्थित समाज के लक्ष्यों को प्राप्त करना है। आवश्यकता है कि शांति की बहाली सुनिश्चित करने के लिये और भविष्य में होने वाले अपराधों को रोकने के लिये अपराधी और पीड़ित के प्रतिस्पर्द्...

  2. Jan 7, 2022 · भारत में, दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 368 उच्च न्यायालयों को मौत की सजा की पुष्टि की शक्ति देती है। आम तौर पर हत्या के मामले में, राज्य ...

  3. Feb 12, 2020 · Capital punishment, also called the death penalty, is the execution of an offender sentenced to death after conviction by a court of law of a criminal offence. It is the highest penalty awardable to an accused.

  4. Apr 25, 2023 · मौत की सजा के खंड के तहत, एक व्यक्ति जिसने हत्या या बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया है, उसे उसकी सजा के हिस्से के रूप में फांसी दी जा सकती है। भले ही मौत की सजा को जेल में आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, लेकिन “मृत्युदंड” और “मौत की सजा” शब्द अक्सर एक दूसरे के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं। मृत्युदंड के खिलाफ मामला (Case Against Death P...

  5. Jan 9, 2023 · We’ve curated the most powerful quotes from individuals who are against the death penalty — including activists, abolitionists, political leaders, and the families of victims.

  6. Apr 21, 2013 · Of late there has been a shift towards restorative and reformist approaches to punishment, including in India. India is one of the 78 retentionist countries which have retained death penalty on the ground that it will be awarded only in the ‘rarest of rare cases’ and for ‘special reasons’.

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